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Showing posts from October, 2020

राम राम

  भजन करो उस रब का जो दाता हैं कुल सब का कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार । त्रिदेवा शाखा भए पात रूप संसार ।। कबीर एकै साधै, सब सधे सब साधे सब जाय । माली सींचे मूल को, फलै फूलै अघाय ।।

राम राम

सीता विवाह और राम का राज्याभिषेक दोनों ही शुभ मुहूर्त में किये गए थे। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न ही राज्याभिषेक । और जब इसका जवाब वशिष्ठ मुनि से पुछा गया तो उन्होंने कहा- सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ । लाभ हानि जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ ।। जय श्री राम।।

परदोष दर्शन भी एक बड़ा पाप है

परदोष दर्शन भी एक बड़ा पाप है एक गाँव में मन्दिर में एक संन्यासी रहते थे। उस मंदिर के ठीक सामने ही एक वेश्या का मकान था। वेश्या के यहाँ रात−दिन लोग आते−जाते रहते थे। यह देखकर संन्यासी मन ही मन कुड़ता रहता। एक दिन वह अपने को नहीं रोक सका और उस वेश्या को बुलावा भेजा। उसके आते ही फटकारते हुए कहा—‟तुझे शर्म नहीं आती पापिन, दिन रात पाप करती रहती है। मरने पर तेरी क्या गति होगी?” संन्यासी की बात सुनकर वेश्या को बड़ा दुःख हुआ। वह मन ही मन पश्चाताप करती भगवान से प्रार्थना करती अपने पाप कर्मों के लिए क्षमा याचना करती। बेचारी कुछ जानती नहीं थी। बेबस उसे पेट के लिए वेश्यावृत्ति करनी पड़ती किन्तु दिन रात पश्चाताप और ईश्वर से क्षमा याचना करती रहती। उस संन्यासी ने यह हिसाब लगाने के लिए कि उसके यहाँ कितने लोग आते हैं एक−एक पत्थर गिनकर रखने शुरू कर दिये। जब कोई आता एक पत्थर उठाकर रख देता। इस प्रकार पत्थरों का बड़ा भारी ढेर लग गया तो संन्यासी ने एक दिन फिर उस वेश्या को बुलाया और कहा “पापिन? देख तेरे पापों का ढेर? यमराज के यहाँ तेरी क्या गति होगी, अब तो पाप छोड़।” पत्थरों का ढेर देखकर अब तो वेश्या काँप ग