भाषा को सशक्त एवं प्रवाहमयी बनाने के लिए लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। वार्तालाप के बीच में इनका प्रयोग बहुत सहायक होता है। कभी-कभी तो मात्र मुहावरे अथवा लोकोक्तियों के कथन से ही बात बहुत अधिक स्पष्ट हो जाती है और वक्ता का उद्देश्य भी सिद्ध हो जाता है। इनके प्रयोग से हास्य , क्रोध , घृणा , प्रेम , ईर्ष्या आदि भावों को सफलतापूर्वक प्रकट किया जा सकता है। लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग करने से भाषा में निम्नलिखित गुणों की वृद्धि होती है। (1) वक्ता का आशय कम-से-कम शब्दों में स्पष्ट हो जाता है। (2) वक्ता अपने हृदयस्थ भावों को कम-से-कम शब्दों में प्रभावपूर्ण ढंग से सफलतापूर्वक अभिव्यक्त कर देता है। (3) भाषा सबल , सशक्त एवं प्रभावोत्पादक बन जाती है। (4) भाषा की व्यंजना-शक्ति का विकास होता है। 1. अँगारे बरसना — अत्यधिक गर्मी पड़ना। जून मास की दोपहरी में अंगारे बरसते प्रतीत होते हैं। 2. अंगारों पर पैर रखना-कठिन कार्य करना। युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों ने अंगारों पर पैर रखकर विजय प्राप्त की। 3. अँगारे सिर पर धरना — विपत्ति मोल लेना। सोच-समझकर काम करना